राय चैपमैन ऐंड्रूज़

अद्‌भुत भारत की खोज
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लेख सूचना
राय चैपमैन ऐंड्रूज़
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 268
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक भगवानदास वर्मा

ऐंड्रूज़, राय चैपमैन अमरीकी प्राणिविज्ञ तथा अन्वेषक, का जन्म संयुक्त राज्य (अमरीका) के विस्कान्सिन राज्य के बेलाइट नगर में सन्‌ 1884 में हुआ था। बेलाइट कालेज से उपाधि ग्रहण करने के पश्चात्‌ इन्होंने न्यूयार्क के अमेरिकन म्यूज़ियम ऑव नैचुरल हिस्ट्री में सेवा आरंभ की और सन्‌ 1908 में अन्वेषण के लिए सर्वप्रथम अलास्का गए। सन्‌ 1909-10 में यू.एस.एस. ऐल्बैट्रास नामक पोत पर प्राणिविज्ञ के पद पर नियुक्त होकर इन्होंने हिंदेशिया, बोर्नियो तथा सिलीबीज़ द्वीपों की यात्रा की। सन्‌ 1911-12 में उत्तरी कोरिया में खोज कार्य किया तथा एक वर्ष पश्चात्‌ इन्होंने बार्डेन की अलास्का यात्रा में भाग लिया।

प्रारंभ में ह्वेल तथा जलनिवासी अन्य स्तनधारी जीव इनके विशेष अध्ययन के विषय थे, किंतु सन्‌ 1914 से अमेरिकन म्यूज़ियम ऑव नैचुरल हिस्ट्री के एशियाई खोज विभाग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त होकर ये मध्यएशिया, चीन, बोर्नियो, इत्यादि देशों में 15 वर्षो तक अन्वेषण कार्य करते रहे। इनके नेतृत्व में तिब्बत, दक्षिण-पश्चिमी चीन, ब्रह्मदेश, उत्तरी चीन, मंगोलिया तथा मध्य एशिया में महत्व की खोजें हुई। मंगोलिया में जीवाश्मों से भरे क्षेत्र तथा मध्य एशिया की यात्राओं में नई भौमिक रचनाएँ, विस्तृत जीवाश्म क्षेत्र, डिनोसार के अंडे और ज्ञात स्थलीय स्तनधारियों में सबसे बड़े जीव बालूचीथीरियम के अवशेष मिले। इन अवशेषों तथा आदिकाल के मनुष्यों के जीवन के विस्तृत प्रमाण मिलने से यह सिद्ध हो गया कि संसार के उरगवंशी (रेंगनेवाले) तथा स्तनधारी जीवों के वितरण का केंद्र मध्य एशिया रहा है।

इन्होंने अनेक वैज्ञानिक निबंध तथा विवरणिकाओं के अतिरिक्त अपनी यात्रा और खोज संबंधी कई पुस्तकें लिखी हैं, जैसे ऐक्रास मंगोलियन प्लेन्स (1921), आन द ट्रेल ऑव एनशेंट मैन (1926-27), दिस अमेज़िंग प्लैनेट (1940), इत्यादि।


टीका टिप्पणी और संदर्भ