जॉर्ज गुडी चिशोल्म

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
लेख सूचना
जॉर्ज गुडी चिशोल्म
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4
पृष्ठ संख्या 232
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक रामप्रसाद त्रिपाठी
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक काशी नाथ सिंह

चिशोल्म, जॉर्ज गुडी (Chisholm, George Goudie, सन्‌ 1850-1930) का जन्म स्कॉटलैंड के एडिनबरा नगर में 1930 में हुआ था। इनकी शिक्षा दीक्षा भी ऐडिनबरा में ही हुई। इन्होंने अपने जीवन के प्रारंभिक 45 वर्ष जन्मभूमि स्कॉटलैंड में बिताए। 19वीं सदी के उत्तरार्ध, विशेषतया अंतिम चतुर्थांश में वे एकाकी साधक रहे, जब उन्होंने भूगोलीक उच्च शिक्षात्मक स्तर पर वैज्ञानिक पाठ्य विषय के रूप में प्रतिस्थापित किया। 1889 ई. में उन्होंने अपनी सुप्रसिद्ध पुस्तक वाणिज्य भूगोल (Handbook of Commercial Geography) लिखी। 1895 में इनके द्वारा संपादित संसार का गज़ेटियर (Longman's World Gazetteer) लौंगमैंस ने छाया। सन्‌ 1908 में एडिनबरा विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालयीय स्तर पर भूगोल को मान्यता प्राप्त हुई और उन्हें भूगोल का प्रथम अध्यापक हाने का गौरव प्राप्त हुआ। सन्‌ 1921 में उनकी पदोन्नति हुई और उन्हें रीडर (Reader) बनाया गया। सन्‌ 1923 में 73 वर्ष की आयु में वे सेवानिवृत्त हुए और विश्वविद्यालय ने उन्हें अपनी सर्वोच्च उपाधि 'डाक्टर ऑव्‌ लॉ' (Honorary LL.D.) द्वारा विभूषित किया।

चिशोल्म सन्‌ 1884 से ही राजकीय भूगोल परिषद्, लंदन के आजीवन 'फेलो' रहे। उन्होंने राजकीय स्कॉटिश भूगोल परिषद् के मंत्री के रूप में भी 15 वर्षो तक कार्य किया। उन्हें अमरीकी भूगोल परिषद्, न्यूयार्क ने 'डैली' (Daly) स्वर्णपदक से विभूषित किया। उनके वाणिज्य भूगोल की पुस्तक की प्रसिद्धि का इसी से पता चलता है कि सन्‌ 1928 तक उसका 11वाँ संस्करण निकल चुका था। अब भी वह डाक्टर डड्ले स्टैंप द्वारा परिवर्तित होकर प्रसिद्धि पा रही है। 80 वर्ष के पूर्णतया कार्यशील जीवन के बाद 9 फरवरी, सन्‌ 1930 को चिशोल्म का देहावसान हुआ।


टीका टिप्पणी और संदर्भ