जॉन के

अद्‌भुत भारत की खोज
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जॉन के बुनाई से संबंधित मशीनों के अंग्रेज आविष्कारक। इनका जन्म 1604 ई. में लैंकाशायर के पार्क नामक ग्राम में हुआ था। वे पहले घड़ीसाज का काम करते थे। चरखे की मशीन के आविष्कारक आर्कराइट ने अपने यंत्र को बनाने में इनसे सहायता प्राप्त की। उसके बाद इनका ध्यान कातने और बुनने के यंत्रों में उन्नति करने की ओर गया।

उन्होंने करघों की कंघी (reeds) में बेत के पतले टुकड़ों के स्थान पर तार का प्रयोग आरंभ किया। उन्होंने ऐसी ढरकी (flying shuttle) का आविष्कार किया जिसे बुनने के समय मशीन स्वयं फेंकती थी। इसके कारण बुनाई की गति तथा बुने हुए कपड़े के पनहे में वृद्धि संभव हो गई। करघे द्वारा बुनाई के संबंध में यह बड़े महत्व का आविष्कार था।

इन्होंने ऐसी मशीन भी बनाई जिसके द्वारा ऊन या रूई धुनने के काम में आनेवाला वह चमड़ा या कपड़ा (carding cloth) बनाया जा सकता है जिसमें दाँते या काँटे लगे होते हैं।

बुनने की मशीनों के विरुद्ध हुए दंगों के कारण इन्हें इंग्लैंड छोड़ फ्रांस चला जाना पड़ा था; वहाँ वे दस वर्ष रहे। इसके पश्चात्‌ वे पुन: इंग्लैंड़ वापस आए; पर सन्‌ 1914 में पुन: फ्रांस लौट गए। वहाँ की सरकार ने इनकी पेंशन बाँध दी। इनकी मृत्यु का ठीक समय ज्ञात नहीं है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ