जेनशियनेसिई

अद्‌भुत भारत की खोज
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जेनशियनेसिई (Gentianaceae, किरातकुल) सिमपेटली, द्विबीजपत्री, 80 वंश, 800 जातियाँ, विश्वव्यापी, मुख्यत: शीतोष्ण, कुछ आर्कटिक या आल्प प्रदेशीय। पौधे, अधिकतर शाकीय, वार्षिक, कुछ बहुवार्षिक, पत्तियाँ प्राय: अभिमुख, और अनुपत्र रहित होती हैं। क्रॉफर्डिया (Crawfurdia) लतारूप, कुछ अमरीकी पौधे मृतोपजीवी (saprophytic) होते हैं। मेनिऐंथीज़ (Menyanthes) एवं उसके समकक्ष वंश में पत्तियाँ एकांतरित होती हैं। यह उपकुल मेनिऐंथॉइडी (Menyanthoideae) है। इसके स्तंभ में वाहिनीपुल संलग्न या कोलैटरल होते हैं। दूसरा अभिमुख पत्तियोंवाला उपकुल जेनशिएनॉयडी (Gentianoideae) है। इसके वाहिनीपूल द्विसंलग्न होते हैं।

पुष्पक्रम बहुवर्धक्षीय, प्राय: द्विशाखीय (dichasial), कैरियोफिलेसी के सदृश होता है, पार्श्व शाखाएँ एकशाखीय (monochasial) हो जाती हैं। सत्य शूकी (spike) या एकवर्धक्षीय कम होते हैं। निपत्र (bracts) एवं निपत्रिका (bractlets) कभी होते हैं, कभी नहीं। पुष्प द्विंलिंगी k (5), C (5) तथा घंटाकार या उसी के सदृश A 5 दललग्र एवं परागकोश आंतर्मुख होते हैं। एक्सैकम (exacum) के परागकोशों का स्फुटन दो छिद्रों द्वारा होता है। परागकणों के आकार आदि के आधार पर वंश का विभाजन होता है। G (2) के नीचे एक बिंब स्थित रहता है। जरायु भित्तिलग्र (parietal) एवं कभी-कभी अक्षवर्ती (axile) होता है। फल प्राय: एक पटीस्फोटक (septicidal) कैपस्यूल जैसे होते हैं। चिरोनियां (Chironia) आदि का फल भरी (berry) एवं बीज प्राय: छोटे होते हैं। परागण कीटों द्वारा होता है। दलों का रंगबिरंगा रूप एवं अनुकूल आकार इस विधि में सहायक होता है।

सामान्य भारतीय जेनेरा एक्सैकम, इराइ्थ्राना, जेनशियाना, होप्पिया, कांसकैरा, स्वीटिया, लिमनैनथिमम आदि हैं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ