चॉंदबीबी

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लेख सूचना
चॉंदबीबी
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4
पृष्ठ संख्या 182
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक रामप्रसाद त्रिपाठी
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक रजिया सज्जाद ज़हीर

चाँदबीबी हुसेन निजामशाह की पुत्री। माँ का नाम खानजा हुमायूँ था जो अजरबाइजान राजवंश की थी। चाँदबीबी की जन्मतिथि विवादास्पद है। तारीखे फरिश्ता में उसके मृत्युतिथि पहली मुहर्रम, १००९ हिजरी मानी गई है। इसके 20 वर्षं पश्चात्‌ लिखी तारीखे शहाबी में मृत्यु के समय चाँदबीबी की आयु 50 से कुछ अधिक बताई गई है। इससे उसका जन्मकाल 955 हिजरी हो सकता है।

चाँदबीबी का विवाह सुल्तान अली आदिलशाह बीजापुर से सन्‌ 1971 हि. में हुआ। अली आदिलशाह 988 हि. में एक गुलाम के हाथों मारा गया। उसका भतीजा इब्राहिम आदिलशाह नौ वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठा और चाँदबीबी ने राज्यप्रबंध सँभाला तथा बड़ी ही तत्परता, योग्यता और दृढ़ता से उसे चलाया। उस समय किशवर खाँ नामक एक सरदार ने पहले तो चाँदबीबी को बड़ी सहायता की लेकिन फिर शक्ति प्राप्त कर उसे सतारा के किले में बंदी बना लिया। किशवर खाँ की इस करतूत पर शेष सरदार विद्रोह कर उठे और इख्लास खाँ के प्रयत्नों से चाँदबीबी मुक्त होकर बीजापुर लौटी। आगे जब मुगलों ने दक्खिन पर आक्रमण किया तब चाँदबीबी ने आदिल शाह एवं कुतुबशाह को भी अपने साथ मिला लिया और बड़ी बहादुरी से मुगलों का सामना किया। अंत में शाहजादा मुराद ने चाँदबीबी से संधि कर ली। चाँदबीबी ने निजामशाह बहादुर को अहमदनगर की गद्दी पर बैठाया। इसी बीच आहंग खाँ नामक सरदार ने शक्ति प्राप्त कर बखेड़े खड़े किए। चाँदबीबी द्वारा कई बार समझौता करने का प्रयत्न किया गया पर व्यर्थ हुआ। अंत में मुगलों ने इस आपसी झगड़े से लाभ उठाकर (शाहजादा मुराद की मृत्यु के बाद) शाहजादा दानयाल के सेनापतित्व में आक्रमण कर दिया। बीजापुर और गोलकुंडा ने चाँदबीबी का साथ नहीं दिया। फलत: दानयाल की विजय हुई।

मृत्यु के विषय में समकालीन इतिहासकार फरिश्ता का कथन है कि उसे चीता खाँ नामक किसी हब्शी ने मुगलों के साथ संधि करने के आरोप पर मार डाला था। किंतु तारीखे शहाबी के अनुसार जब मुगल किले में प्रविष्ट हुए तो चाँदबीबी ने तेजाब की बावली में कूदकर आत्महत्याकर ली। बाद में शाहजादा दानयाल ने उसकी लाश बावली से निकलावाकर हजरत ख्वाजा बंदानिवाज की दरगाह के निकट गुजबर्गा के एक भव्य मकबरे में दफनकर दिया जिसे चाँदबीबी ने अपन जीवनकाल में बनवाया था।



टीका टिप्पणी और संदर्भ