चुंगी

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लेख सूचना
चुंगी
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4
पृष्ठ संख्या 257
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक रामप्रसाद त्रिपाठी
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक सु.पां.

चुंगी (Octroi) नगर स्वायत्त संस्थानों द्वारा वस्तुओं पर उनके अधिशासन क्षेत्र में प्रवेश पर लगाए जानेवाले परोक्ष (Indirect) उपभोग कर को चुंगी की संज्ञा दी जाती है। कर लगाने का यह अधिकार संस्थानों को राज्य से प्राप्त होता है। यह नगरपालिका, नगर महापालिका, नगरनिगम आदि स्थानीय नगर-स्वायत-शासन की व्यवस्था के संचालन एवं उत्तरदायित्व के निर्वाह के लिये, आज का एक विशिष्ट तथा महत्वपूर्ण स्त्रोत है।

प्राचीन समय में भारत में ऐसे स्थानीय करों का वर्णन कौटिल्य के अर्थशास्त्र में मिलता है। रोम साम्राज्य में भी यह प्रचलित था और फ्रांस में 13वीं शताब्दी से इसका आरंभ हुआ। आगे चलकर इसे हटा लिया गया लेकिन फ्रांस की राज्यक्रांति के उपरांत वहाँ यह पुन: लगाया गया। अंग्रेजां ने भारत में इसे केंद्रीय कर के रूप में, सन्‌ 1860 ई. में, यह कहकर लगाया कि यह कर नया नहीं है, मुगलों के मुत्फरका के समान ही है। भारत में सन्‌ 1919 ई. से नगरस्वायत्त-शासन-संस्थानों को इस कर के लिये अधिकार प्राप्त है। भारतीय संविधान में इसे स्थानीय क्षेत्र में, उपभोग, उपयोग अथवा विक्रय के हेतु प्रविष्ट होनेवाली वस्तुओं पर कर के रूप में प्रगृहीत किया गया है।

निम्नांकित वर्गो के उपभोग की वस्तुओं पर सामान्यत: यह कर लगाया जाता है: (क) मनुष्यों एवं चौपायों के खाने एवं पीने की सामग्री, (ख) वध करने के लिये लाए गए जानवरों, (ग) प्रकाश, ईधन एवं पेय पदार्थ, (घ) भवननिर्माण एवं साज-सज्जा की सामग्री, (ङ) रासायनिक पदार्थ, दवाइयाँ, सौंदर्यप्रसाधन, रंग आदि, (च) तंबाकू के सभी प्रकार के पदार्थ, (छ) उपभोग में आनेवाले कटपीस तथा अन्य सभी सामान (ज) धातु एवं उनसे बने पदार्थ। साधारण रूप से जिन वर्गो की वस्तुओं पर यह कर नहीं लगाया जाता वे इस प्रकार हैं : (क) जिन वस्तुओं पर उत्पादन कर (Excise duty) या सीमाशुल्क (Custom) लगता है, (ख) मूल्यवान्‌ पत्थर तथा धातुएँ, (ग) सरकारी उपभोग की वस्तुएँ, (घ) शराब बनाने के पदार्थ, (ङ) व्यक्तियों के प्रयुक्त निजी तथा घरेलू सामान, (च) निजी उपयोग के लिये आनेवाले मुड़बोझे, (छ) सैनिक सामान, (ज) मशीन एवं उनके हिस्से (मशीन बनाने के औजार नहीं), (झ) कोयला, (ट) वाहन, (ठ) टंकणयंत्र (ड) समाचारपत्र, पत्र, पुस्तकें आदि।

यह कर विभिन्न वस्तुओं पर भिन्न ढंग से लगाया जाता है, जैसे कुछ वस्तुओं पर तौल, कुछ वस्तुओं पर मूल्य और कुछ वस्तुओं पर गणना के अनुसार।

इस कर का सदा से विरोध रहा है क्योंकि करवसूली का व्ययभर इसमें अधिक पड़ता है और भ्रष्टाचार भी बढ़ता है। इसलिये सन्‌ 1870 में बेलजियम, सन्‌ 1903 में फ्रांस से यह समाप्त कर दिया गया। फिर भी इटली, स्पेन, पुर्तगाल, आस्ट्रिया, पाकिस्तान, वर्मा, लंका, भारत आदि देशों में यह कर बना हुआ है। भारत में तो यह नगर-स्वायत्त-शासन संस्थाओं की आय का एक महत्वपूर्ण एवं अनिवार्य साधन है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ