चांत्रे सर फ्रांसिस लेगेट

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
लेख सूचना
चांत्रे सर फ्रांसिस लेगेट
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4
पृष्ठ संख्या 181
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक रामप्रसाद त्रिपाठी
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक भाऊ समर्थ

चांत्रे, सर फ्रांसिस लेगेट (1781-1841) अंग्रेज शिल्पकार चांत्रे चित्रकला और पच्चीकारी की कला में ख्यातिप्राप्त रहे हैं। लगातार सन्‌ 1804 तक रॉयल अकादमी में चित्र और तत्पश्चात्‌ सन्‌ 1808 से शिल्पाकृतियाँ प्रदर्शित करते रहे। आयु के 30वें वर्ष में अकादमी के सदस्य बने। उन्हें सन्‌ 1835 में नाइट की उपाधि मिली। उनके द्वारा निर्मित विंसेंट, नेल्सन, डंकन तथा होवे आदि की मूर्तियाँ प्रसिद्ध हैं। हान टूक के व्यक्तिशिल्प के लिये उन्हें 12 हजार पौंड की राशि दी गई थी। कलकत्ता, बंबई, बोस्टन, लंदन आदि नगरों में इनकी कृतियाँ सुरक्षित हैं। एलेन कनिंघम और विक्स ये दोनों सहयोगी चांत्रे के नाम से ही शिल्पाकृति बनाते रहे।


टीका टिप्पणी और संदर्भ