घटोत्कच गुप्त

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  • घटोत्कच गुप्त गुप्तवंश का दूसरा राजा और उस वंश के प्रथम शासक गुप्त का पुत्र था। स्वयं तो वह केवल 'महाराज' अर्थात्‌ सामंत मात्र था, किंतु उसका पुत्र चंद्रगुप्त (प्रथम) वंश का प्रथम सम्राट् हुआ।
  • उसका शासनकाल चौथी शती के प्रथम और द्वितीय दशकों में रखा जा सकता है।
  • घटोत्कचगुप्त नामक एक शासक की कुछ मुहरें वैशाली से प्राप्त हुई हैं और विसेंट स्मिथ तथा ब्लाख जैसे कुछ विद्वान्‌ इन मुहरों को गुप्तपुत्र घटोत्कचगुप्त का ही मानते हैं। *सेंट पीटर्सवर्ग के संग्रह में एक ऐसा सिक्का मिला है, जिसपर एक ओर राजा का नाम 'घटो-गुप्त' तथा दूसरी और 'विक्रमादित्य' की उपाधि अंकित है।
  • प्रसिद्ध मुद्राशास्त्री एलेन ने इस सिक्के का समय ५०० ई. के आसपास निश्चित किया है।
  • इस तथा कुछ अन्य आधारों पर वि. प्र. सिनहा ने वैशाली की मुहरों तथा उपर्युक्त सिक्केवाले घटोत्कचगुप्त को कुमारगुप्त का एक पुत्र माना है, जिसने उसकी मृत्यु के बाद अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी थी।
  • कुमारगुप्त के जीवित रहते सभवत: यही घटोत्कचगुप्त मध्यप्रदेश ने एरण का प्रांतीय शासक था। उसका क्षेत्र वहाँ से ५० मील उत्तर-पश्चिम तुंबवन तक फैला हुआ था, जिसकी एक चर्चा एक गुप्त अभिलेख में हुई है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ