कोरम

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लेख सूचना
कोरम
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 167
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक शुभदा तेलंग

कोरम किसी सभा, संसद, सीमित या कार्यकारिणी की बैठक में लिये आगत न्यूनतम आवश्यक सदस्यों की संख्या को कोरम कहते हैं। इस न्यूनतम आवश्यक संख्या की उपस्थिति के बिना सभा या समिति या विधायिनी के कार्य को वैधानिकता प्राप्त नहीं हो सकती। अत: इस न्यूनतमक संख्या में सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य है। ग्रेट ब्रिटेन में हाउस ऑव्‌ कामन्स के लिये न्यूनतम सदस्यों की उपस्थिति 40 की मानी गई तथा हाउस ऑव्‌ लार्ड्‌ स के लिये 3 सदस्यों की उपस्थिति पर्याप्त है। भारतीय गणतंत्र के संविधान की वर्तमान व्यवस्था के अनुसार दशांश सदस्यों का कोरम राज्यपरिषद के लिये तथा दशांश सदस्यों का कोरम लोकसभा के लिये निश्चित किया गया है। यदि किसी समय कोरम न हो तो सभापति या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने वाले व्यक्ति का यह कर्तव्य हो जाता है कि वह सदन को स्थगित कर दे या उसे तब तक निलंबित रखे जब तक कोरम पूरा न हो जाए। यह शब्द मूलत: लातीनी भाषा का है जो अंग्रेजी में भी व्यवहृत होता है और भारतीय भाषाओं में भी इस शब्द को ले लिया गया है।

रोम के नगरों में शांति और सुव्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ लोगों की नियुक्ति की जाती थी जिन्हें कोरम के न्यायाधीश के नाम से संबोधित किया जाता था। ये एक दूसरे की उपस्थिति के बिना कोई कार्य करने के अधिकारी नहीं थे। सभी कार्यों के लिये कोरम के न्यायाधीश सामूहिक और वैयक्तिक रूप से उत्तरदायी होते थे। धीरे धीरे यह शब्द सभी न्यायाधीशों के लिये व्यवहृत होने लगा। कालांतर में इस शब्द में और अर्थातहर हुआ जिससे अब कोरम उपर्युक्त अर्थ में प्रयुक्त होता है।[१]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शु. ते.