न मानूँ तो क्या ?
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तन सीमाओं में रोये मन अनन्त मदमस्त, माया अधरों की जाम पाप पुण्य में व्यस्त, सत-मन चाप यदि, न तानूँ तो क्या ? क्यूँ किसको मानूँ , न मानूँ तो क्या ?
नयन ज्ञान स्तम्भ और दृष्टि परे की बात, बिन नीव के अजान किस स्रष्टा के साथ वेद-कुरआन खिचड़ी,न जानूँ तो क्या ? क्यूँ किसको मानूँ , न मानूँ तो क्या ?
रूखा सूखा तन काटे उपवन मन हत्यारा, सत्य निकट विलम्बित झूठ दूर का प्यारा नभ ,नक्षत्र, मही, न छानूँ तो क्या ? क्यूँ किसको मानूँ , न मानूँ तो क्या ?