बलवंत पांडुरंग किर्लोस्कर
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०७:४०, १८ अगस्त २०११ का अवतरण (Text replace - "६" to "6")
- बलवंत पांडुरंग किर्लोस्कर, (अण्णा साहब) (1८43-1८८5 ई.)।
- बलवंत पांडुरंग किर्लोस्कर मराठी रंगमंच के आदि संगीत-नाटककार थे।
- बलवंत पांडुरंग किर्लोस्कर का जन्म महाराष्ट्र के बेलगाँव जिले के एक गाँव में हुआ था।
- बलवंत पांडुरंग किर्लोस्कर विद्याध्ययन के लिए 1८63 में पूना भेजे गए किंतु संगीत और नाटक में आरंभ से ही रुचि होने के कारण स्कूली पढ़ाई में मन नहीं लगा।
- अण्णा साहब ने पढ़ाई छोड़कर आपने अध्यापक, सिपाही आदि की नौकरी की पर उनके जीवन का विकास नाटक के क्षेत्र में ही हुआ।
- अण्णा साहब 1८66 में भारत शास्त्रोत्तेजक मंडली की स्थापना की और अपने लिखे नाटक श्री शंकर-दिग्विजय और अलाउद्दीन का मंचन किया।
- इसमें उन्हें पर्याप्त सफलता मिली।
- इससे उत्साहित होकर उन्होंने अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर किर्लोस्कर संगीत नाटक मंडली के नाम से एक व्यावसायिक संस्था की स्थापना की और 1८८० ई. में पूना में अभिज्ञान शाकुंतल का मराठी संगीत रूपक संगीत शाकुंतल प्रस्तुत किया।
- इस नाटक की सफलता ने मराठी रंगमंच में एक नया युग उपस्थित कर दिया।
- अण्णा साहब ने संगीत शाकुंतल के अतिरिक्त सौभद्र रामराज्य वियोग आदि अन्य कई नाटक लिखे और वे सभी समादरित हुए।
- 42 वर्ष की अवस्था में अण्णा साहब 1८८5 ई. में देहांत हो गया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ