न मानूँ तो क्या ?

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०८:३५, २१ अक्टूबर २०१३ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

तन सीमाओं में रोये
मन अनन्त मदमस्त,
माया अधरों की जाम
पाप पुण्य में व्यस्त,
सत-मन चाप यदि, न तानूँ तो क्या ?
क्यूँ किसको मानूँ , न मानूँ तो क्या ?

नयन ज्ञान स्तम्भ
और दृष्टि परे की बात,
बिन नीव के अजान
किस स्रष्टा के साथ
वेद-कुरआन खिचड़ी,न जानूँ तो क्या ?
क्यूँ किसको मानूँ , न मानूँ तो क्या ?

रूखा सूखा तन काटे
उपवन मन हत्यारा,
सत्य निकट विलम्बित
झूठ दूर का प्यारा
नभ ,नक्षत्र, मही, न छानूँ तो क्या ?
क्यूँ किसको मानूँ , न मानूँ तो क्या ?