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*तमिलनाडू कावेरी तट पर स्थित, मद्रास नगर से १९४ मील दूर, दक्षिण रेलवे की मुख्य शाखा का एक स्टेशन है।  
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*कुंभकोणम्‌ (स्थिति 100 58’, उ. से 790 22’ पू.)।  
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*तमिलनाडू कावेरी तट पर स्थित, मद्रास नगर से 194 मील दूर, दक्षिण रेलवे की मुख्य शाखा का एक स्टेशन है।  
 
*इसकी गणना दक्षिण भारत के प्राचीन तीर्थ स्थानों में की जाती है।  
 
*इसकी गणना दक्षिण भारत के प्राचीन तीर्थ स्थानों में की जाती है।  
 
*पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार ब्रह्मा ने अमृत से एक कुंभ भर रखा था।  
 
*पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार ब्रह्मा ने अमृत से एक कुंभ भर रखा था।  
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*जब भगवान्‌ शंकर ने देखा कि अमृत गिरने से यह स्थान पवित्र हो गया है तो इस स्थान को तीर्थ समझकर लिंग रूप में यहाँ आविर्भूत हुए।  
 
*जब भगवान्‌ शंकर ने देखा कि अमृत गिरने से यह स्थान पवित्र हो गया है तो इस स्थान को तीर्थ समझकर लिंग रूप में यहाँ आविर्भूत हुए।  
 
*इसी लिंग पर स्थापित कुंभेश्वर नामक मंदिर है। इसके अतिरिक्त यहाँ अन्य कई प्रसिद्ध मंदिर हैं।  
 
*इसी लिंग पर स्थापित कुंभेश्वर नामक मंदिर है। इसके अतिरिक्त यहाँ अन्य कई प्रसिद्ध मंदिर हैं।  
*इस स्थान का संबंध मलिकुर्रम से स्थापित किया जाता है जो लगभग ७वीं शताब्दी में चोल वंश की राजधानी था।  
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*इस स्थान का संबंध मलिकुर्रम से स्थापित किया जाता है जो लगभग 7वीं शताब्दी में चोल वंश की राजधानी था।  
 
*यह ब्राह्मण सभ्यता का लौहस्तंभ रहा है।  
 
*यह ब्राह्मण सभ्यता का लौहस्तंभ रहा है।  
 
*शंकराचार्य द्वारा स्थापित यहाँ एक मठ है, जिसमें संस्कृत पुस्तकों का बहुमूल्य पुस्तकालय है।  
 
*शंकराचार्य द्वारा स्थापित यहाँ एक मठ है, जिसमें संस्कृत पुस्तकों का बहुमूल्य पुस्तकालय है।  

०९:०९, २५ जुलाई २०१८ के समय का अवतरण

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  • कुंभकोणम्‌ (स्थिति 100 58’, उ. से 790 22’ पू.)।
  • तमिलनाडू कावेरी तट पर स्थित, मद्रास नगर से 194 मील दूर, दक्षिण रेलवे की मुख्य शाखा का एक स्टेशन है।
  • इसकी गणना दक्षिण भारत के प्राचीन तीर्थ स्थानों में की जाती है।
  • पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार ब्रह्मा ने अमृत से एक कुंभ भर रखा था।
  • उसकी नासिका में छिद्र हो जाने से बहुत सा अमृत बाहर टपक गया और उससे पाँच कोस तक की भूमि भींग गई।
  • यह भूभाग यही है।
  • जब भगवान्‌ शंकर ने देखा कि अमृत गिरने से यह स्थान पवित्र हो गया है तो इस स्थान को तीर्थ समझकर लिंग रूप में यहाँ आविर्भूत हुए।
  • इसी लिंग पर स्थापित कुंभेश्वर नामक मंदिर है। इसके अतिरिक्त यहाँ अन्य कई प्रसिद्ध मंदिर हैं।
  • इस स्थान का संबंध मलिकुर्रम से स्थापित किया जाता है जो लगभग 7वीं शताब्दी में चोल वंश की राजधानी था।
  • यह ब्राह्मण सभ्यता का लौहस्तंभ रहा है।
  • शंकराचार्य द्वारा स्थापित यहाँ एक मठ है, जिसमें संस्कृत पुस्तकों का बहुमूल्य पुस्तकालय है।
  • नागेश्वर तथा सारंगपाणि यहाँ के प्रमुख देवालय हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ