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'''गंडव्यूह'''-बौद्ध महायान संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ। इसमें बोधिसत्व का गुणगान और उनकी उपासना की चर्चा है। इस ग्रंथ के संबंध में अनुश्रुति है कि एक दिन भगवान्‌ बुद्ध श्रावस्ती स्थित जेतवन में विहार कर रहे थे। उनके साथ सामंतभद्र, मंजुश्री आदि पाँच हजार बोधिसत्व थे। उन्होंने बुद्ध से ज्ञान प्रदान करने की प्रार्थना की। तब बुद्ध ने बोधिसत्व की उपासना के संबंध में बताया। इस ग्रंथ में बोधिसत्व के लक्षण कहे गए हैं। बोधिसत्व प्राप्ति के निमित्त जो कुछ करणीय हैं वह बताया गया है। समस्त जीवों से प्रेम और करूणा करना, उनके दु:ख की निवृति के निमित्त प्रयत्नकरना और जीवों को स्वर्ग मार्ग बताने के निमित्त उपदेश करना बोधिसत्व का कर्तव्य है। इस ग्रंथ के अंत में भद्रचारीप्रणिघातगाथा नामक एक स्त्रोत्र है। उसमें महायान पंथ के तत्वज्ञान के निमित्त बुद्ध की स्तुति है।  
'''गंडव्यूह'''-बौद्ध महायान संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ। इसमें बोधिसत्व का गुणगान और उनकी उपासना की चर्चा है। इस ग्रंथ के संबंध में अनुश्रुति है कि एक दिन भगवान्‌ बुद्ध श्रावस्ती स्थित जेतवन में विहार कर रहे थे। उनके साथ सामंतभद्र, मंजुश्री आदि पाँच हजार बोधिसत्व थे। उन्होंने बुद्ध से ज्ञान प्रदान करने की प्रार्थना की। तब बुद्ध ने बोधिसत्व की उपासना के संबंध में बताया। इस ग्रंथ में बोधिसत्व के लक्षण कहे गए हैं। बोधिसत्व प्राप्ति के निमित्त जो कुछ करणीय हैं वह बताया गया है। समस्त जीवों से प्रेम और करूणा करना, उनके दु:ख की निवृति के निमित्त प्रयत्नकरना और जीवों को स्वर्ग मार्ग बताने के निमित्त उपदेश करना बोधिसत्व का कर्तव्य है। इस ग्रंथ के अंत में भद्रचारीप्रणिघातगाथा नामक एक स्त्रोत्र है। उसमें महायान पंथ के तत्वज्ञान के निमित्त बुद्ध की स्तुति है।  



११:३७, ६ अगस्त २०१५ के समय का अवतरण

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गंडव्यूह-बौद्ध महायान संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ। इसमें बोधिसत्व का गुणगान और उनकी उपासना की चर्चा है। इस ग्रंथ के संबंध में अनुश्रुति है कि एक दिन भगवान्‌ बुद्ध श्रावस्ती स्थित जेतवन में विहार कर रहे थे। उनके साथ सामंतभद्र, मंजुश्री आदि पाँच हजार बोधिसत्व थे। उन्होंने बुद्ध से ज्ञान प्रदान करने की प्रार्थना की। तब बुद्ध ने बोधिसत्व की उपासना के संबंध में बताया। इस ग्रंथ में बोधिसत्व के लक्षण कहे गए हैं। बोधिसत्व प्राप्ति के निमित्त जो कुछ करणीय हैं वह बताया गया है। समस्त जीवों से प्रेम और करूणा करना, उनके दु:ख की निवृति के निमित्त प्रयत्नकरना और जीवों को स्वर्ग मार्ग बताने के निमित्त उपदेश करना बोधिसत्व का कर्तव्य है। इस ग्रंथ के अंत में भद्रचारीप्रणिघातगाथा नामक एक स्त्रोत्र है। उसमें महायान पंथ के तत्वज्ञान के निमित्त बुद्ध की स्तुति है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ