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'''इरोद''' तमिलनाडु राज्य के कोयंबटूर जिले का एक नगर है जो मद्रास से 243 मील दूर, कावेरी नदी के दाहिने तट पर स्थित है। (स्थिति 11° 21¢ उत्तरी अक्षांश . तथा 77° 43¢ पुर्वी देशांतर )। यह नगर दक्षिण रेलवे का एक जंकशन है। 17वीं शताब्दी के प्रारंभ में यह छोटा सा कस्बा था, परंतु हैदरअली के समय में नगर की पर्याप्त उन्नति हुई तथा यहाँ की जनसंख्या 15000 हो गई। समय के फेर तथा राजनीतिक उथल पुथल के कारण 18वीं शताब्दी के अंत में यह नगर मराठा, मैसूर राज्य तथा अंग्रेजों की विभिन्न चढ़ाइयों के कारण पूर्ण रूप से ध्वस्त हो गया। 1792 ई. में टीपू सुल्तान तथा अंग्रेजों में संधि हुई, फलस्वरूप लोग फिर आकर यहाँ बसे तथा एक ही वर्ष में यहाँ की जनसंख्या 20,000 हो गई।
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'''इरोद''' तमिलनाडु राज्य के कोयंबटूर जिले का एक नगर है जो मद्रास से 243 मील दूर, कावेरी नदी के दाहिने तट पर स्थित है। (स्थिति 11° 21' उत्तरी अक्षांश . तथा 77° 43' पुर्वी देशांतर )। यह नगर दक्षिण रेलवे का एक जंकशन है। 17वीं शताब्दी के प्रारंभ में यह छोटा सा कस्बा था, परंतु हैदरअली के समय में नगर की पर्याप्त उन्नति हुई तथा यहाँ की जनसंख्या 15000 हो गई। समय के फेर तथा राजनीतिक उथल पुथल के कारण 18वीं शताब्दी के अंत में यह नगर मराठा, मैसूर राज्य तथा अंग्रेजों की विभिन्न चढ़ाइयों के कारण पूर्ण रूप से ध्वस्त हो गया। 1792 ई. में टीपू सुल्तान तथा अंग्रेजों में संधि हुई, फलस्वरूप लोग फिर आकर यहाँ बसे तथा एक ही वर्ष में यहाँ की जनसंख्या 20,000 हो गई।
  
 
इरोद अब बहुत अच्छा नगर हो गया है। 1871 ई. से यहाँ की व्यवस्था नगरपालिका द्वारा हो रही है। नगर पूर्ण रूप से विकसित तथा सभी सुविधाओं से संपन्न है। यहाँ दो बहुत प्राचीन मंदिर हैं जिनपर तमिल भाषा में लिखे हुए ऐतिहासिक महत्व के भित्तिलेख हैं। इरोद अपने क्षेत्र का प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र हैं। यहाँ कपास का व्यवसाय मुख्य रूप से होता है।
 
इरोद अब बहुत अच्छा नगर हो गया है। 1871 ई. से यहाँ की व्यवस्था नगरपालिका द्वारा हो रही है। नगर पूर्ण रूप से विकसित तथा सभी सुविधाओं से संपन्न है। यहाँ दो बहुत प्राचीन मंदिर हैं जिनपर तमिल भाषा में लिखे हुए ऐतिहासिक महत्व के भित्तिलेख हैं। इरोद अपने क्षेत्र का प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र हैं। यहाँ कपास का व्यवसाय मुख्य रूप से होता है।
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०७:११, २८ जुलाई २०१५ का अवतरण

इरोद तमिलनाडु राज्य के कोयंबटूर जिले का एक नगर है जो मद्रास से 243 मील दूर, कावेरी नदी के दाहिने तट पर स्थित है। (स्थिति 11° 21' उत्तरी अक्षांश . तथा 77° 43' पुर्वी देशांतर )। यह नगर दक्षिण रेलवे का एक जंकशन है। 17वीं शताब्दी के प्रारंभ में यह छोटा सा कस्बा था, परंतु हैदरअली के समय में नगर की पर्याप्त उन्नति हुई तथा यहाँ की जनसंख्या 15000 हो गई। समय के फेर तथा राजनीतिक उथल पुथल के कारण 18वीं शताब्दी के अंत में यह नगर मराठा, मैसूर राज्य तथा अंग्रेजों की विभिन्न चढ़ाइयों के कारण पूर्ण रूप से ध्वस्त हो गया। 1792 ई. में टीपू सुल्तान तथा अंग्रेजों में संधि हुई, फलस्वरूप लोग फिर आकर यहाँ बसे तथा एक ही वर्ष में यहाँ की जनसंख्या 20,000 हो गई।

इरोद अब बहुत अच्छा नगर हो गया है। 1871 ई. से यहाँ की व्यवस्था नगरपालिका द्वारा हो रही है। नगर पूर्ण रूप से विकसित तथा सभी सुविधाओं से संपन्न है। यहाँ दो बहुत प्राचीन मंदिर हैं जिनपर तमिल भाषा में लिखे हुए ऐतिहासिक महत्व के भित्तिलेख हैं। इरोद अपने क्षेत्र का प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र हैं। यहाँ कपास का व्यवसाय मुख्य रूप से होता है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ